तो क्‍या अब हम अपराध में भी जाति और धर्म देखेंगे?

दिग्गज भाजपा नेताओं का संरक्षण भी नहीं रोक सका टिकेश डनसेना की गिरफ्तारी। 05 लाख 40 हजार ठगी के मामले में छाल पुलिस ने भेजा जेल

प्रकृति के गोंद में बसा बरभौना गांव के किसान का बेटा धर्म नगरी के चकाचौंध में युवाओं के नेतृत्व करते राजनैतिक कद बढ़ाने के साथ अपराध जगत से नाता जोड़ लिया या यूं कहें कि थोपा गया ऐ तो उनके राजनैतिक आंका ही बेहतर बता सकते है।


  यूं कहना ग़लत नहीं होगा गांव के भोला भाला व्यवहार कुशल युवा को अपने नफे के लिए राजनैतिक कद वाले आंका ने युवक को एटीएम की तरह उपयोग के वजह से देखते ही देखत अपराध कि दुनिया में धकेल दिया…सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का फर्क नहीं पड़ा दिन दूनी रात चौगुनी पुलिस के रिकार्ड में संख्या बढ़ता चला गया आधा दर्जन से अधिक अपराध के आरोप से घिरे टिकेश डनसेना को आज छाल पुलिस ने ठगी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। टिकेश के ऊपर आधा दर्जन से अधिक अलग-अलग मामलों में अपराध दर्ज है।

खरसिया ही नहीं प्रदेश के नेताओं के साथ टिकेश के सक्रियता अधिक देखी जाती रही है। आज उन नेताओं के साथ जान पहचान भी पुलिस से टिकेश को नहीं बचा पाई।

टिकेश के फेसबुक पेज के अनुसार उन्होंने अपनी आईडी पर Tikesh Dansena BJP लिखा है और खरसिया विधानसभा किसान मोर्चा का खुद को प्रभारी बताया है।

कई कार्यक्रमों में कई दिग्गज नेताओं के साथ नजर आए हैं। कांग्रेस पार्टी को सोशल मीडिया और जमीन पर घेरने के लिए टिकेश को हमेशा हमेशा एक हथियार के तौर पर उपयोग किया गया।

सूत्र बताते हैं कि टिकेश पेशे से वकालत करते हैं और भाजपा के बड़े नेताओं का उन्हें वरदहस्त प्राप्त है जिसके कारण टिकेश कानून से खिलवाड़ करने में भी गुरेज नहीं करते। आज छाल पुलिस ने ठगी के मामले मामले में उनका चेहरा बेनकाब किया है। पर्दा के पीछे से नेताओं ने पुलिस से टिकेश को बचाने की सारी कवायद किए

आइए जानते हैं ठगी के साथ और कितने मामले में टिकेश के ऊपर अपराध दर्ज है?

पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार छाल पुलिस ने ग्राम बरभौना निवासी कल्पेश्वर डनसेना के शिकायत पर थाना क्षेत्र के गुंडा बदमाश टिकेश डनसेना को प्रार्थीगण से ₹5,40,000 की धोखाधड़ी करने के अपराध में गिरफ्तार कर आज ज्युडिसियल रिमांड पर भेजा गया है। रिपोर्टकर्ता कपलेश्वर डनसेना पिता चैतराम डनसेना उम्र 38 वर्ष ग्राम बरभौना द्वारा आज थाना प्रभारी छाल के नाम पर आवेदन देकर बताया कि बरभौना निवासी टिकेश डनसेना जो वकालत करता है, पुलिस में अच्छी पकड़ होना बताया था। रिपोर्टकर्ता ने बताया कि उसका छोटा भाई गुलाब राम डनसेना तथा गांव के अन्य व्यक्तियों को थाना पंडरी रायपुर पुलिस ने दिनांक 1 जून 2023 को पूछताछ के लिये लेकर गये थे। दिनांक 02 जून 2023 को गांव के टिकेश डनसेना घर आकर बताया कि गुलाब राम डनसेना को रायपुर थाने से छुड़ा कर लाउंगा, जेल नहीं जाने दूंगा, पुलिस में अच्छी पकड़ है।

टिकेश के आश्वासन में आकर कपलेश्वर और पकड़े गये गांववालों के रिस्तेदारों ने कुल 5,40,000 रूपये टिकेश को दिये किन्तु वर्तमान में सभी आरोपी रायपुर जेल में है, टिकेश डनसेना ने पकड़े गये आरोपियों को छुड़ाने के नाम पर कुल 5,40,000 रूपये लेकर धोखाधड़ी किया है। पीड़ित के आवेदन पर थाना प्रभारी छाल निरीक्षक हर्षवर्धन सिंह बैस द्वारा आरोपी टिकेश डनसेना के विरुद्ध धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर तत्काल अपने स्टाफ के साथ आरोपी टिकेश डनसेना की पतासाजी कर हिरासत में लेकर आरोपी से पूछताछ कर आरोपी के कब्जे से धोखाधड़ी में प्रयुक्त एक ओप्पो कंपनी का स्क्रीन टच मोबाइल जप्त किया गया है। आरोपी टिकेश डनसेना पिता श्रवण डनसेना उम्र 29 साल निवासी बरभौना थाना छाल को आज छाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर JMFC धरमजयगढ़ के न्यायालय में पेश किया गया, जहां जेल वारंट पर आरोपी को जेल दाखिल किया गया है।

आरोपी की पतासाजी, गिरफ्तारी में छाल थाना प्रभारी टीआई हर्षवर्धन सिंह बैंस, प्रधान आरक्षक छबि लाल पटेल, आरक्षक गोविंद बनर्जी , हरेंद्र पाल जगत ,सतीश जगत, राजा राम राठिया ,सूरज साहू, महिला आर.एमरेंसिया टोप्पो, रामकिशन पटेल की अहम भूमिका रही है।

पुलिसिया रिकॉर्ड में आरोपित टिकेश डनसेना एक आदतन बदमाश किस्म का युवक है। आरोपित के विरुद्ध विभिन्न थानों में धोखाधड़ी, हत्या का प्रयास, डकैती जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। छाल पुलिस द्वारा समय-समय पर आरोपित के विरूद्ध प्रतिबंधात्मक कार्यवाही के साथ धारा 110 CrPC की कार्यवाही की गई है। वर्तमान में आरोपित टिकेश डनसेना का नाम थाना छाल के गुंडा बदमाश सूची में दर्ज है। टिकेश डनसेना के विरूद्ध शिकायती आवेदन पर प्राप्त होने पर शिकायत को गंभीरता से लेते हुये छाल पुलिस द्वारा तत्काल विधि अनुरूप कार्यवाही की गई है।

आरोपित टिकेश डनसेना का अपराधिक रिकार्ड


थाना छाल के अपराध क्र . 74/2017 धारा 294, 427, 34 भादवि,
अपराध क्र. 72/2019 धारा 420, 34 भादवि,
अपराध क्र. 48/2020 धारा 294, 451, 323, 34 भादवि,
अपराध क्र. 160/23 धारा 420 भादवि
थाना भूपदेवपुर के अपराध क्र. 108/2019 धारा 307, 394, 427, 397, 39 , 120 (बी), 34 भादवि,
इस्तगासा क्र. 56/2016 धारा 107,116 (3) CrPC
इस्तगासा क्र. 125/2020 धारा 107,116 (3) CrPC
इस्तगासा क्र. 13/2020 धारा 110 ( ड ) CrPC


सोशल मीडिया में टिकेश ने खुद अपनी आईडी से भाजपा नेताओं के साथ अपने संबंधों को बताते हुए कई तस्वीरें शेयर की है जिससे पाठक ये अंदाजा लगा सकते हैं कि टिकेश ने अपने नेताओं के सहयोग से राजनीतिक रसूख का किस कदर लाभ उठाया है।

तो क्‍या अब हम अपराध में भी जाति और धर्म देखेंगे?


हम राजनीति और लोक व्‍यवहार में अपनाई जाने वाली इस ‘सिलेक्टिव एप्रोच’ को अपराध और अपराधी तक खींच लाए हैं. सवाल सिर्फ कानून व्‍यवस्‍था और शासन प्रशासन का ही नहीं है, एक लोकतंत्र के नाते भी हमें यह तय करना होगा कि क्‍या अब हम अपराध और अपराधियों के बारे में भी अपनी धारणा उनकी जाति, धर्म या पंथ को लेकर बनाएंगे या फिर किए गए अपराध की गंभीरता के आधार पर.

वे अपने हिसाब से किसी भी लक्ष्‍य के लिए काम कर रहे हों, लेकिन मूलत: वे मानवता के विरुद्ध काम कर रहे होते हैं. और व्‍यक्ति चाहे कोई भी हो, चाहे किसी भी धर्म या पंथ को मानने वाला हो, यदि वह अवैधानिक गतिविधियों में शामिल है तो उसकी पहचान या उसका बचाव उसकी जाति, धर्म या पंथ के आधार पर नहीं होना चाहिए.

ठीक यही मामला अपराधों पर भी लागू होता है. कानून के हिसाब से यदि कोई कृत्‍य अपराध की श्रेणी में आता है तो उसे करने वाले को हम जाति, धर्म या पंथ के आधार पर न तो प्रश्रय दे सकते हैं और न ही उसका बचाव कर सकते हैं. उसके बारे में कोई भी फैसला कानून के हिसाब से ही होना चाहिए. लेकिन ऐसा लगता है कि इन दिनों अपराध या अपराधियों के बचाव के लिए जाति, धर्म या पंथ से संलग्‍नता को आधार बनाया जाने लगा है और उसी हिसाब से घटना या कृत्‍य के समर्थन और विरोध में लोगों को जुटाया जाता है.

पुलिस कोई कार्यवाही करती उससे पहले माहौल को दूसरा ही रंग दे दिया गया. चूंकि आरोपी वर्ग विशेष से थे, इसलिए लोगों को इकट्ठा कर प्रदर्शन के जरिये यह कहते हुए शासन प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश की यह कार्यवाही वर्ग विशेष विरोधी है.

राजनीति में तो यह खेल बरसों से चला आ रहा है. वहां जाति, धर्म, पंथ आदि की आड़ लेकर लोगों को जुटाने से लेकर उन्‍हें भड़काने के सारे धतकरम किए जाते रहे हैं.

हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं. एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता. मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है. इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है.

सबसे गंभीर बात ये है कि हम राजनीति और लोक व्‍यवहार में अपनाई जाने वाली इस ‘सिलेक्टिव एप्रोच’ को अपराध और अपराधी तक खींच लाए हैं. सवाल सिर्फ कानून व्‍यवस्‍था और शासन प्रशासन का ही नहीं है, एक लोकतंत्र के नाते भी हमें यह तय करना होगा कि क्‍या अब हम अपराध और अपराधियों के बारे में भी अपनी धारणा उनकी जाति, धर्म या पंथ को लेकर बनाएंगे या फिर किए गए अपराध की गंभीरता के आधार पर. निश्चित रूप से विशेष वर्ग वाला मामला एक युवक से जुड़ा है लेकिन जब तक कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी को भी यह फतवा जारी नहीं कर देना चाहिए कि ऐसा तो अमुक की जाति, पंथ या सरनेम के कारण हो रहा है.
किसी एक सरनेम या जाति वाले व्‍यक्ति के अपराध करने पर पूरी जाति या उस सरनेम वाले सभी लोग अपराधी नहीं हो जाते. एक व्‍यक्ति के गलत काम को उसके पूरे समुदाय पर आरोपित कर देना भी गलत है और उस समुदाय की राजनीतिक या सामाजिक हैसियत के हिसाब से उसे छूट देने की मांग करना भी गलत है.

जरूरत इस बात की है कि ऐसे मामलों में हम कानून से जुड़ी एजेंसियों और अदालतों को अपना काम करने दें. क्‍योंकि तभी हम कह सकेंगे कि देश में कानून और संविधान का राज है.

Gopal Krishna Nayak

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