रायगढ़। औद्योगिक नगरी रायगढ़ जिले में फ्लाईऐश की समस्या से लोगों का नाता खत्म होता नहीं दिख रहा है। उद्योग घरानों से निकलने वाली फ्लाई ऐश की ट्रांसपोर्टिंग के लिए उपयोग में लाये जा रहे हाईवा वाहनों से सड़कों पर फ्लाई ऐश का गुबार उड़ रहा है, जिससे आने जाने वाले राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिकायतों के बावजूद इस समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा। लापरवाह वाहन मालिक और चालकों पर कार्यवाही की बात तो दूर नजरें उठाने की हिमाकत भी अधिकारी नही कर पा रहे हैं।
स्थाई समस्या बन गयी है कोयले की राख
फ्लाई ऐश की समस्या को लेकर लगातार शिकायतें की जाती है, पीड़ित लोगों के द्वारा चक्का जाम किया जाता है। समस्या अखबारों की सुर्खियां बनती है, तो जिम्मेदार विभाग के द्वारा केवल दिखावे के लिए कार्यवाही कर दी जाती है। ऐसा ही मामला कुछ दिनों पहले देखने को मिला था। शिकायत के बाद अचानक आरटीओ विभाग की टीम ने क्षेत्र में दबिश दी और फ्लाई ऐश से लदी कुछ गाड़ियों पर नाम मात्र के लिए कार्यवाही कर पल्ला झाड़ लिया।
रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में जिस भू-भाग पर उद्योग घराने कोयला खदान बंद हो चुका है, वहां पर वह अपने बिजली कारखाने की राख को लेकर भर रहा है। इसके लिए ट्रकों में मुख्य मार्ग से ही राख का परिवहन किया जा रहा है, वहीं जिस स्थान पर राख फेंकी जा रही है, वहां खुला होने के चलते राख उड़कर आसपास से गुजरने वाले लोगों को प्रभावित करती है। इसकी शिकायत होने पर प्रबंधन ने राख को मिटटी डालकर ढांकने की कोशिश की है।
कैसे सुधरेंगे हालात..?
फ्लाई ऐश की समस्या से लोग जब त्रस्त होते हैं, तो चक्का जाम किया जाता है, फिर प्रबंधन और प्रशासन के द्वारा समझाइश का दौर चलता है और चक्का जाम खुलवा दिया जाता है। चक्का जाम होने के बाद कुछ दिनों तक सिस्टम में कुछ बदलाव आता है, वाहनों में सही तरीके से तिरपाल ढंके जाते हैं, रफ्तार भी नियंत्रित रहती है, लगातार सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाता है, लेकिन फिर मामला जब ठंडा होता है, तो सिस्टम फिर बदल जाता है। फ्लाई ऐश ढोने वाली गाड़ियों की गति दोगुनी हो जाती है, ड्राइवर तिरपाल ढंकना भी उचित नहीं समझते हैं, और सड़क पर पानी का छिड़काव होना भी बंद हो जाता है। जिसके बाद फिर राहगीरों को फ्लाई ऐश का स्वाद मजबूरी में चखना पड़ता है। अब तमनार क्षेत्र में जो स्थिति निर्मित हो चुकी है, एक बार फिर क्षेत्रवासियों के सब्र का बांध टूटता दिख रहा है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर एक बड़ा आंदोलन प्रदूषण के विरोध में छिड़ेगा।