यूं तो मां के कृपा आर्शीवाद से सड़क मार्ग पर गुरुजनों के साथ नेपाल के अलावा रेल,हवाई, प्रयागराज, हरिद्वार, रामेश्वरम, तिरुपति बालाजी, जगन्नाथ पुरी,बनारस सहित अन्य स्थानों का यात्रा करने का सौभाग्य मिल चुका इस बार कुछ अलग अनुभव और टीम के साथ कृष्ण की टोली में सखा सुदामा जैसे झारसुगड़ा से श्रीधाम वृन्दावन उत्तर प्रदेश के लिए हवाई जहाज से दिल्ली तक जाने का अवसर मिला था. गौतम डनसेना, गेंद लाल श्रीवास,शोभा राम नायक, महेन्द्र पटेल, दिगम्बर पटेल उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके साथ हवाई मार्ग से दिल्ली होते उत्तर प्रदेश प्रदेश की श्रीधाम वृन्दावन यात्रा करना चाहूंगा. कुछ देर विचार उपरांत मैं झट से राजी हो गया.मैं सोचने लगा कि कृष्ण सखा सुदामा जैसे संगी-साथी के साथ उड़ान के समय मुझे कैसा लगेगा. सोचते ही मेरा दिल खुशी से भर गया.
हवाई यात्रा की तैयारी
हमारी उड़ान यात्रा की टिकट एक सप्ताह पहले बुक की गई थी. ट्रिप के दिन हम चपले से महेंद्र पटेल के फॉर्च्यूनर कार से झारसुगड़ा एयरपोर्ट गए.मुकेश डनसेना का टिकट पूर्व से बुक नहीं हो पाया था बुक करने वाले कई लोगों से बात किए परन्तु सफल नहीं हुए अंततः मुकेश डनसेना अपने ही प्रयास में सफलता मिला और हमने हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन के अंदर जाकर एक काउंटर पर अपना टिकट दिखाया. सीट संख्या के साथ एक बोर्डिंग कार्ड हमें दिया गया था. हमारे पास एक एक बैग था.
इसके बाद हम सुरक्षा घेरे में गए. वहां पर मौजूद सुरक्षा अधिकारी के द्वारा हमारा जाँच किया गया.गौतम डनसेना, गेंद लाल श्रीवास,शोभा राम नायक, महेन्द्र पटेल, दिगम्बर पटेल, मुकेश डनसेना मेरे हैंड बैग की तलाशी ली गई.
तलाशी के बाद किसी को भी बाहर नहीं जाने दिया गया. हमारे विमान में चढ़ने का समय घोषित कर दिया गया था. फिर हम अपने विमान की तरफ गए. विमान के अंदर एक एयर होस्टेस ने हमारा स्वागत प्रणाम के साथ किया.
विमान यात्रा की अनुभव
विमान का उड़ान भरने का समय आ गया था. एयर होस्टेस ने माइक्रोफोन के माध्यम से हम सभी की यात्रा की कामना की और हमें सीट बेल्ट बांधने का निर्देश दिया.
दोपहर के 03:30 बजे थे. विमान ने उड़ान भरी. यह धीरे-धीरे बढ़ती गति के साथ रनवे के ऊपर लगभग एक मील चला. अचानक हमें लगा कि हम ऊपर उठ रहे हैं.
धीरे धीरे विमान सुचारू रूप से उड़ने लगा. कुछ ही मिनटों में विमान एक अच्छी ऊंचाई पर पहुंच गया. और में यह महसूस कर सकता था की में धीरे धीरे ऊपर उठ रहा था. गौतम डनसेना शोभा राम नायक ने बातचीत में बताया एक ऐसी अनुभूति का अनुभव किया जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था.
बहुत ऊपर उठकर विमान उत्तर की ओर उड़ने लगा. माइक्रोफोन के माध्यम से, एयर होस्टेस ने हमें अपनी बेल्ट खोलने की घोषणा की.
यह एक बड़ा जेट विमान था. यह एक सौ अस्सी यात्रियों को ले जा सकता है. मैंने देखा कि सभी सीटें भरी हुई थीं. सौभाग्य से, मेरी सीट खिड़की के पास थी. विमान ने झारसुगड़ा के ऊपर से उड़ान भरी. विमान बादलों के ऊपर उड़ रहा था.पिछले कुछ दिनों से मौसम का मिज़ाज बदला था बेमौसम बारिश ओलावृष्टि हो रहा था। इसलिए हमें बादलों के माध्यम से नीचे कुछ भी नहीं देख सका. खुब हिचकोले खाते दिल्ली कि ओर बढ़ चले। कुछ देर बाद बादल गायब हो गए.
नीचे सब कुछ सुन्दर दिख रहा था.
एयर होस्टेस ने घोषणा की कि उतरने का समय निकट है. हमें फिर से सीट बेल्ट बांधने के लिए कहा गया. विमान नीचे के तरफ जाने लगा था. हम महसूस कर सकते थे कि हम नीचे जा रहे थे. इसके बाद विमान दिल्ली के हवाई अड्डे पर पहुंचा. शाम के करीब 05:45बजे थे. यात्रा में दो घंटे पंद्रह मिनट लगे. हम विमान से नीचे उतरे. हम फिर हवाई अड्डे के तीन नम्बर के टर्मिनल बिल्डिंग में गए. फिर हम एयरपोर्ट से निकल गए और टैक्सी में श्रीधाम वृन्दावन के लिए चल पड़े.
निष्कर्ष
कृष्ण सुदामा जैसे संगी-साथी को लंबे समय से हवाई यात्रा करने की बहुत इच्छा थी. मैंने कृष्ण सुदामा जैसे सखा संगी-साथी और भगवान को धन्यवाद दिया कि उन्होंने मुझे सुरक्षित रूप से इस तरह की भारी बदली में भी श्रीधाम वृन्दावन यात्रा का आनंद लेने का मौका दिया.
बारिश के बीच दिल्ली से उड़ान का यह सफर हमें लंबे समय तक याद रहेगा…